सरकारी कर्मचारियों के डीए पर लगी रोक से अटेवा नाखुश, सुझाए दूसरे रास्ते

सरकारी कर्मचारियों के डीए पर लगी रोक से अटेवा पेंशन बचाओ मंच नाखुश, सुझाए दूसरे रास्ते



देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। अटेवा पेंशन बचाओ मंच लखीमपुर के जिला संयोजक विश्वनाथ मौर्य ने कोरोना महामारी में कर्तव्य पथ पर अपनी जान की परवाह किये बिना लड़ रहे कोरोना वॉरियर्स को नमन करते हुए बताया कि अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष एवं NMOPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर केंद्रीय कर्मचारियों एवं प्रदेश कर्मचारियों व पेंशनर्स के DA को जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक रोके जाने का विरोध जताया है और पत्र में लिखा है कि DA रोकने के स्थान पर NPS में  कर्मचारी के मूल वेतन का 14% सरकार का अंश और 10% कर्मचारी का अंश अर्थात 24% NSDL (प्राइवेट कंपनी ) को जाने वाला धन रोक कर व पहले से जमा धन वापस लेकर अर्थव्यवस्था को आसानी से पटरी पर ला सकते हैं और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देकर उनका भविष्य भी सुरक्षित कर सकते हैं।

         उन्होंने बताया कि करोना महामारी एक वैश्विक महामारी है इस महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। यह मानवता के लिए संकट का काल है इस संकट के समय भी सभी ने अपने-अपने स्तर से सहयोग कर रहे हैं, सेवाएं दे रहे हैं परंतु देश के सरकारी कर्मचारियों ने जिस तत्परता और सेवाभाव से काम किया, वह अद्वितीय है, अनुकरणीय है, प्रशंसनीय है। सरकारी कर्मचारी चाहे वह हमारे डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस, अर्द्धसैनिक, विद्युतकर्मी, सफाईकर्मी तथा रेलकर्मी व ऑडनेंस फैक्ट्री के लोग जो भी उक्त कार्य क्षेत्र में लगे हैं। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सभी ने अपनी जान हथेली पर रखकर सरकार के साथ और मानवता के साथ पूरी शिद्दत से खड़े हैं। ऐसे कोरोना फाइटर्स पर हम सभी भारतीयों को गर्व है। सरकारी कर्मचारी तन-मन-धन से कोरोना के खिलाफ जंग में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे। कई साथियों ने तो सेवा के दौरान संक्रमित हो गए लोगों की जान बचाने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिये। फिर भी सेवा के कार्य मे दिन रात लगे हुए हैं। यह त्याग और बलिदान का उत्कृष्टतम उदाहरण है। ऐसे समय में केंद्रीय कर्मचारियों के DA को (जनवरी 2020 से जुलाई 2021) तक  फ्रीज कर देने से उनका मनोबल गिरेगा, उनकी कार्य संस्कृति पर स्वाभाविक रूप से असर पडेगा। जबकि सभी शिक्षक /कर्मचारी CM/PM CARE FUND मे एक दिन का वेतन पूर्व मे दे चुके है ।

  आर्थिक मंदी से उबरने के लिए कई उपाय हैं जिसमें एक सबसे महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि देश मे लगभग NPS के 68 लाख कर्मचारी ( राज्यो के 47,53,870 व केन्द्र के 21,01,972 कर्मचारी 31मार्च २०२० तक सरकारी आँकडे के अनुसार ) हैं। NPS के रूप में सरकारी कर्मचारियों का 10% और सरकार का 14% पैसा जमा होता है दोनों को मिला दिया जाए तो 24% पैसा कट रहा है जो न तो कर्मचारी के काम आ रहा है ना ही सरकार के। यदि 24% का हिसाब प्रतिमाह लगाया जाए तो यह अरबों रुपए बैठता है। इस मंदी के दौर में यदि NPS  समाप्त कर दिया जाये तो सरकार के खजाने में कई अरब रुपया आ सकता है और जो हर महीने जा रहा है अरबों रुपए वह भी तत्काल रुप से रुक जाएगा। इससे कर्मचारी समुदाय भी सहमत हैं। NPS के रुप कर्मचारियो  के 10% पैसे को GPF मे परिवर्तित कर तत्काल रुप से सरकार के खजाने में जाने लगेगा जो एक बहुत बड़ी राहत का कार्य करेगा और नई व्यवस्था खत्म होने से कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा के दायरे मे आ जायेगे। कर्मचारी भी खुश हो जाएंगे और सरकार की तरफ से उन्हें कुछ देना भी नहीं पड़ेगा।
 प्रधानमंत्री जी से अपील करते हुए कहा कि आपने कई महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक फैसले लिए हैं उम्मीद करता हूं कि देशहित में एक बड़ा फैसला यह भी लेंगे जिससे सरकारी कर्मचारी सहित स्वयं सरकार और देश का लाभ होगा।

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