सफेद हाथी साबित हो रहा एशिया का सबसे बड़ा साइफन
विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे किसान व ग्रामीण
देव श्रीवास्तव
तिकुनियां-खीरी। तमगा तो एशिया का सबसे बड़े होने का है, लेकिन जबसे साइफन बना, कुछ काम नहीं किया और लोगों को इसके बंद होने की कीमत वर्षो से चुकानी पड़ रही है। ग्रामीण और किसान साइफन बंद होने से बाढ़ व कटान से हमेशा पीड़ित रहते है।
हम बात कर रहे है उस साइफन की, जिसे एशिया का सबसे बड़ा साइफन होने का दर्जा प्राप्त है, यह साइफन शारदा सहायक नहर जो ढखेरवा होते हुए शारदा बैराज में मिलती है। इसी नहर पर गजियापुर के निकट 24 बैरल का सुहेली साइफन है, यह साइफन जब से बना है तब से अपनी सेवा नहीं दे पाया और न ही विभागीय अधिकारियों ने इसे प्रारंभ करने की कोशिश की। एक बार इसे शुरू कराने को लेकर स्टीमेट भेजा गया, लेकिन धन न मिलने के कारण यह सफेद हाथी ही साबित होता रहा। खैरटिया के ग्राम प्रधान प्रगट सिंह बताते है कि 24 बैरल का बना साइफन कई वर्षों से बंद है, इस साइफन से जौराहा नदी, दुलहिया नदी का पानी निकलता है। साइफन के बंद होने से सरयू नदी व अन्य नदियों का पानी नहीं आ पाता और खैरटिया, मझरा, दलराजपुर, सहेनखेड़ा, खमरिया, सिंहौना अयोध्यापुरवा, बेनीपुरबा आदि गांव बाढ़ व कटान से प्रभावित होते है। किसान नरेंद्र सिंह जठोल ने बताया कि साइफन बंद होने से हजारों हेक्टेयर भूमि प्रभावित होती है, जिससे फसलों का उत्पादन घट जाता है और किसान बर्बादी की ओर बढ़ता जा रहा है। व्यासमुनि बताते है कि यह एशिया का सबसे बड़ा साइफन है और जब से बना है, तब से शुरू ही नहीं हुआ है। किसानों ने नहरों में जमा सिल्ट व साइफन की सफाई कराने की मांग की है।
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