बेरोजगारी एक संघर्ष, यह मुद्दा महत्वपूर्ण है परन्तु सरकार से दूर है!

बेरोजगारी एक संघर्ष, यह मुद्दा महत्वपूर्ण है परन्तु सरकार से दूर है!




देव श्रीवास्तव केडीएस न्यूज़ नेटवर्क

भारत विविध भाषाओं संस्कृतियों और जटिलताओं का एक ऐसा देश है जहां हर एक सेकंड पर कुछ नया होता है। ऐसी विविधता भरे देश में समस्याओं का होना लाजमी है परंतु ऐसी समस्याएं जिनका निराकरण तत्काल होना चाहिए और उन्हें लेकर अगर विलंब किया जा रहा है तो निश्चित तौर पर यह लोगों के आक्रोश का कारण बन सकता है। ऐसा ही आक्रोश आज देश की सरकार के प्रति या कहें देश और प्रदेश की सरकार के प्रति युवाओं में दिख रहा है। युवा देश का भविष्य माने जाते हैं ऐसे में जब युवाओं की बात आती है तो निश्चित तौर पर यह मुद्दा अहम हो जाता है। 

लगातार सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इन दिनों चल रहे कमेंट आपको भी यह सोचने पर मजबूर कर देंगे। 

कैसे क्या कारण है कि देश का बेरोजगार युवा आज इतना ज्यादा नाराज है। इस बारे में लोगों के अलग-अलग तर्क हो सकते हैं कुछ लोग इसे राजनीति से प्रेरित भी कह सकते हैं और कुछ लोग इसे उन लोगों की नाकामी कह सकते हैं जिन्होंने बदलते समय के साथ जरूरतों और सेवाओं में बदलाव नहीं किया। बहुत से ऐसे भी लोग होंगे जो कहीं न कहीं इन बेरोजगार युवाओं में भी दोष ढूंढ लेंगे परंतु मुझे लगता है ऐसा करना गलत है। मैं इसलिए ऐसा नहीं कह रहा कि मैं देश की सरकार या प्रदेश की सरकार से किसी तरह की नाराजगी रखता हूं परंतु इस बात को कहना इसलिए जरूरी हो जाता है कि बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। रोजगार आवश्यक है! 

कोरोना काल ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है। बेरोजगार लोगों की संख्या में भी इजाफा किया है। रोजगार भी चौपट हुए हैं तो ऐसे में बेरोजगारी बढ़ना लाजमी था परंतु उससे निपटने के भी समुचित उपाय करना सरकार की जिम्मेदारी है। आज युवाओं में जो आक्रोश दिख रहा है वह भी लाजमी है। इस आक्रोश को टाइटल दिया गया है "मोदी जी रोजगार दो" हो सकता है कुछ लोग इसे गलत ठहरा रहे हो, राजनीति से प्रेरित बताएं परंतु निश्चित तौर पर यह युवाओं का आक्रोश है और उनका हक भी अपने देश के प्रधानमंत्री से यह कहने का है कि उन्हें रोजगार की आवश्यकता है। 

ऐसा कहा जाता है बेटे को अगर कुछ चाहिए तो उसे पिता से कभी-कभार ज़िद भी करनी पड़ती है। निश्चित तौर पर यह ऐसा ही मौका है ऐसे में युवाओं की नाराजगी मीडिया पर भी खासी दिखाई दे रही है, शायद सही भी है मीडिया का दायित्व है कि वह उन मुद्दों को भी प्रमुखता से दिखाएं जिनसे समाज को नई दिशा मिले। सरकार को उन चीजों से अवगत कराएं जो समाज में चल रही हो खासकर मीडिया का दायित्व यही है कि वह समय-समय पर सरकार को उसकी कमियों से अवगत कराती रहें। 

वर्तमान मीडिया शायद कुछ अलग है ऐसा क्यों है इस बारे में कहना मुश्किल है। इस पर भी बुध्दि जीवियों के अलग-अलग तर्क हो सकते हैं मैं उन पर नहीं जाता।

अपील करता हूं देश की सरकार को और प्रदेश की सरकार को बेरोजगार युवाओं के भविष्य को लेकर एक बड़े मंथन की जरूरत है और ऐसे विकल्प तलाशने की जरूरत है जिससे बेरोजगार युवाओं की नाराजगी को दूर किया जा सके, हो सकता है सरकार नए-नए प्रयोग कर बेरोजगारी से निपटने के तरीके निकाल रही हो परंतु वर्तमान समय को देखते हुए ऐसा करना शायद ठीक नहीं होगा। तमाम तरह की सरकारी नौकरियां निकलने के बाद परीक्षा में देरी होना, रिजल्ट न आना, पेपर लीक हो जाना, रिजल्ट आने में सालों की देरी। गंभीर विषय है चिंता का विषय है कि हाल ही में रेलवे की जो परीक्षाएं चल रही हैं उनमें करोड़ों युवा युवतियों ने फार्म डाला। इसका मतलब है कि रोजगार की आवश्यकता बहुत बड़ी संख्या में है। कहीं ऐसा न हो कि सरकार इस विषय पर सोचने में देर कर दे? ऐसे में सरकार को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है! सरकार को विचार करना होगा कि ऐसे मुद्दों पर गंभीर होकर युवाओं की समस्या से निपटे, उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराएं। सरकारी नौकरियों को बढ़ावा मिलना चाहिए। 

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