प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार, पत्रकार द्वारा दाल न गलने पर दी गई कंपनी कर्मचारियों को जानमाल की धमकी
प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार, पत्रकार द्वारा दाल न गलने पर दी गई कंपनी कर्मचारियों को जानमाल की धमकी
शिरीष श्रीवास्तव केडीएस न्यूज़ नेटवर्क
लखीमपुर-खीरी। जब से प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) शुरू हुई है तब से माल काटने को तमाम दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। सबसे बड़ी बात है कि इसमें पत्रकार तक भी शामिल हो रहे हैं। जैसे-तैसे मानीटरिंग कम्पनी और डूडा पर दबाव बनाकर अपने हिस्से में कई कालोनियां ले लेते हैं। इन कालोनियों के सहारे ही मोटी रकम पैदा कर रहे हैं। जब कोई मामला बिगड़ता है तो फिर से पत्रकारिता शुरू कर दी जाती है। कुछ ऐसा ही मामला वर्तमान में सामने आया है जहां एक पत्रकार ने दाल न गलने पर कम्पनी के कर्मचारी पर जान-माल की धमकी देने का आरोप लगाया है।
एक दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार विशाल भारद्वाज ने एचएफसी कम्पनी के जिला समन्वयक अभिषेक पर आंखें नोच लेने और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया है। बकौल विशाल भारद्वाज ‘‘मेरे पास अभिषेक द्वारा धमकी देते हुए वीडीओ है। अभिषेक ने दो कौड़ी का पत्रकार कहा। खबर निकालने पर आंखें नोंच लेने और जान से मार देने की धमकी दी है।’’ विशाल भारद्वाज ने इस संबंध में अब उच्चाधिकारियों से धमकी देने वाले अभिषेक के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।
वहीं इस संबंध में जब आरोपित अभिषेक से बात की गई तो उन्होंने लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि विशाल भारद्वाज पत्रकार हैं। लिहाजा उनके कार्यों का उनसे कोई लेना-देना नहीं है। फिर वह क्यों धमकी देंगे। वीडीओ की बावत कहा कि वह पूरे वीडीओ में कहीं हैं ही नहीं। इस संबंध में उन्होंने नोटिस भी दे रखी है।
कई लोग अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं काम
लखीमपुर-खीरी। जिला समन्वयक ने बताया कि वैसे तो पात्रों का चयन नगर पालिका और लेखपाल की जिम्मेदारी है। एचएफसी कम्पनी का काम फाइलिंग, मॉनीटरिंग इत्यादि का है। फिर भी कुछ लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर सर्वेयर या लाभार्थियों से मिलकर योजना का लाभ दिलाने का काम करते हैं। उन्होंने विशाल भारद्वाज को भी इन्हीं में से एक होने का संकेत दिया।
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यह है असल लड़ाई
लखीमपुर-खीरी। जिला समन्वयक अभिषेक ने बताया कि उनकी कम्पनी में कार्यरत शैलेंद्र दीक्षित का आरोप लगाने वाले विशाल भारद्वाज से निकटतम मामला है। शैलेंद्र ने कम्पनी के नियमों और शासनादेश के विपरीत जाकर एक अवैध कृत्य किया था। इसकी शिकायत उनके द्वारा कम्पनी के उच्चाधिकारियों से की गई थी। लिहाजा उच्चाधिकारियो ने शैलेंद्र दीक्षित के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। उसी दिन से विशाल भारद्वाज भी उनसे बैर मानने लगे। जबकि कम्पनी का उनसे कोई लेना-देना नहीं है।
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दबाव बनाने के लिए लेखपाल के खिलाफ भी खोला था मोर्चा
लखीमपुर-खीरी। डूडा, नगर पालिका व तहसील प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए विशाल भारद्वाज ने पत्रकारिता का भी दुरुपयोग किया था। अव्वल तो सदर लेखपाल के खिलाफ तरह-तरह की खबर प्रकाशित कर दबाव बनाया। उच्चाधिकारियों तक शिकायत भी हुईं। मगर जब अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लिया तो मामला उल्टा ही नजर आया। लिहाजा लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। उसके बाद भी विशाल भारद्वाज ने तरह-तरह की खबरों के जरिये प्रशासन पर दबाव बनाने की नाकाम कोशिश की। सूत्र बताते हैं कि मामले में कार्रवाई तो नहीं हुई मगर दबाव बनाने में कामयाबी मिली कि विशाल भारद्वाज ने पैसे लेकर योजना का लाभ दिलाने की दलाली शुरू कर दी।
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