अपंगता शरीर में नहीं बल्कि देखने वाले की नजर में होती है - डॉ कौशल वर्मा
दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगज़न की सेवा कर दिव्यांगों का सहारा बनेडॉ कौशल
देव श्रीवास्तव केडीएस न्यूज़ नेटवर्क
लखीमपुर खीरी। कभी गिरोगे तो खुद उठ भी जाओगे, कभी लड़खड़ाओगे तो खुद ही सम्भल भी जाओगे, जब तुम थामोगे हौसलों का दामन तो, एक दिन शिखर पर तुम भी चढ़ जाओगे। इन्हीं पंक्तियों को सार्थक बनाते हुए डॉ कौशल वर्मा ने दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगों को एक नए आयाम पर आत्मनिर्भर बनाकर उनकी सेवा में एक प्रयास किया जिसकी लोग सराहना करते नहीं थक रहे। मालूम हो कि हाल ही मे 3 दिसंबर को दिव्यांग दिवस के रूप मे मनाए जाने वाले अवसर पर जिला लखीमपुर खीरी के गोला नगर में लखीमपुर रोड स्थित सनशाइन हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. कौशल वर्मा ने दिव्यांगों की सेवा में एक शिविर का आयोजन किया, जिसमे पैरों से कमजोर दिव्यांगों को 5 स्टिक, 10 बैशाखी, कान से कमजोर लोगों को 5 हियरिंग एड (सुनने वाली मशीन) को वितरित कर सभी दिव्यांगों को निशुल्क जांच व परामर्श देकर दिव्यांग जनों को दिव्यांगता से लड़ने का साहस प्रदान करने का एक प्रयास किया।
लाभार्थी दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हो रहे सनशाइन हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर के डायरेक्टर एवं ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. कौशल वर्मा से बातचीत में उन्होंने बताया कि हड्डी रोगों से संबंधित कोई भी बीमारी अगर किसी भी व्यक्ति को है तो वह उसे ठीक करने का भरपूर प्रयास करते हैं और इससे कई लोगों को अभी तक वृहद स्तर पर लाभ पहुंचा चुके हैं। जिसका अंदाजा डॉक्टर कौशल के हॉस्पिटल मे मरीजों का ताँता देखकर लगाया जा सकता है। डॉ कौशल से लाभ प्राप्तकर्ताओं की माने तो कई मरीजों दुर्घटनाग्रस्त या अन्य कारणों से चोटिल होकर जब कई बड़ी-बड़ी जगहों से निराश होकर डॉक्टर कौशल के पास आते हैं तो उन्हें बड़ी सफलता प्राप्त होती है। डॉ कौशल की अगर बात की जाए तो आर्थिक रूप से कमजोर जरूरतमंदों की सेवा के लिए डॉ कौशल ने सरकारी नौकरी को त्याग कर स्वयं का निजी अस्पताल खोलकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी कम पैसो में सर्जरी कर इलाज कर देते हैं। और प्रतिमाह 3 से 4 निशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाकर ऐसे मरीज जो उन तक नहीं पहुंच पाते हैं, उनका भी इलाज सफलतापूर्वक करते हैं। इनके शिविर में सीतापुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर एवं पीलीभीत तक के मरीजों को लाभ मिल चुका है।
डॉ कौशल ने बताया कि उनको इस काम मे बेहद आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है और इसी प्रकार से सेवा करके अपने जीवन को सार्थक महसूस करते हैं।
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