पांचवें दिन भी जारी रही स्वास्थ्य संविदा कर्मचारियों की हड़ताल, स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल
सात दिसंबर को मुख्यमंत्री कार्यालय का एनएचएम संविदा कर्मचारी करेंगे घेराव
लखीमपुर-खीरी। स्वास्थ्य संविदा कर्मचारियों की हड़ताल पांचवें दिन भी जारी रही। इस हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। अस्पतालों में आने वाले मरीजों का ना तो इलाज सही से हो पा रहा है और ना ही उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरी तरह से लाभ मिल पा रहा है। संविदा कर्मचारी प्रदेश के आवाहन पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संघ के बैनर तले स्वास्थ्य विभाग में तैनात संविदा कर्मचारी पांचवें दिन भी सीएमओ ऑफिस प्रांगण में इकट्ठा होकर प्रदर्शन करते रहे। जिन सात सूत्रीय मांगो को लेकर स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी हड़ताल पर हैं उनमें विनियमितीकरण/ समायोजन असृजित पदों का विभाग में सृर्जन करना, वेतन पॉलिसी, वेतन विसंगति को दूर करना, सातवें वेतन आयोग का लाभ, जॉब सिक्योरिटी, रिक्त पदों पर गैर जनपद स्थानांतरण सुविधा, आउट सोर्स नीति को खत्म किया जाना, बीमा पॉलिसी, आशा बहुओं का नियत मानदेय समय पर दिया जाना शामिल है।
हड़ताल के पांचवें दिन संविदा कर्मचारियों ने शंख बजाकर शासन प्रशासन को जगाने का प्रयास किया। इस दौरान थाली और ताली भी बजाई गई। जिला अध्यक्ष विकास श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि संगठन की जब तक मांगे पूरी नहीं होती और प्रदेश कार्यकारिणी इस आंदोलन को समाप्त करने के निर्देश नहीं देती तब तक यह आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश नेतृत्व से लगातार संपर्क स्थापित है। निर्देशों का पालन किया जा रहा है उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर मयंक प्रताप द्वारा बताया गया है कि अभी तक प्रदेश के बड़े अधिकारियों ने संविदा कर्मचारियों की समस्या को संज्ञान में नहीं लिया है यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के समस्त कर्मचारी सात दिसंबर को अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव करेंगे। वहीं इस दौरान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष महंत सिंह ने संविदा कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि संविदा कर्मचारियों की लड़ाई में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का एक-एक सदस्य उनके साथ है। अगर जिले के किसी भी अधिकारी ने संविदा कर्मचारियों का उत्पीड़न का शोषण करने की कोशिश भी की तो उसके परिणाम बेहद खराब होंगे। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद संविदा कर्मचारियों की जायज मांगों को मनवाने के लिए प्रयास कर रहा है। संविदा और आउटसोर्सिंग नीति जो है जिसे खत्म होना चाहिए। अटेवा से विश्वनाथ मौर्य ने भी संविदा कर्मचारियों की हड़ताल को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार की शोषण वाली नीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पूरा अटेवा संगठन स्वास्थ्य संविदा कर्मचारियों का हड़ताल में समर्थन करता है और उनकी मांगों को जायज ठहराते हैं उन्होंने कहा कि सरकार को दोहन की नीति छोड़कर कर्मचारियों के हित के लिए सोंचते हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों की समस्त मांगों को मानना चाहिए और उन्हें नियमित कर देना चाहिए।
महामंत्री देवेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि समस्त संविदा कर्मचारी तब तक पीछे हटने वाले नहीं है जब तक उनकी मांगों को सरकार नहीं मानती। इस बार आर-पार की लड़ाई होनी तय है। अगर सरकार संविदा कर्मचारियों की जायज मांगों को नहीं मानती है तो आंदोलन को प्रदेश नेतृत्व के आदेशों पर और उग्र किया जाएगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। इस दौरान कोषाध्यक्ष विजय वर्मा, मीडिया प्रभारी देवनंदन श्रीवास्तव, सचिव संतोष आनंद, डॉ. निमेष शुक्ला, सुलोचना, विकास शर्मा, समीक्षा, मानू, डॉ. पूनम, श्वेता सिंह, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद से डॉ. परमानंद, अनिल भार्गव, डॉ. केके भार्गव प्रतीक हजेला सहित अन्य ने भी धरने को संबोधित किया।
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