टीबी प्रशिक्षण में अपर निदेशक ने प्रशिक्षु डॉक्टर्स से पूछे सवाल, सही जवाब देने वाले 3 डॉक्टर्स को किया सम्मानित

टीबी प्रशिक्षण में अपर निदेशक ने प्रशिक्षु डॉक्टर्स से पूछे सवाल, सही जवाब देने वाले 3 डॉक्टर्स को किया सम्मानित


ट्यूबरक्लोसिस यूनिट के 24 डॉक्टर का प्रशिक्षण हुआ पूरा, वितरित किए गए प्रमाण पत्र

अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल लखनऊ डॉ. जीएस बाजपेई पहुंचे लखीमपुर खीरी


विवेक श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी। प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत के उद्देश्य को साकार करने के लिए जिले के लिए 24 डॉक्टरों को चार दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के अंतिम दिन शनिवार को अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल लखनऊ डॉ. जीएस बाजपेई लखीमपुर पहुंचे। एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में चल रहे प्रशिक्षण में उन्होंने प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने सभी के साथ एक सवाल जवाब प्रतियोगिता की। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान डॉ. रजत अवस्थी एसएमओ जिला टीबी अस्पताल ने प्राप्त किया। वहीं द्वितीय स्थान बांकेगंज के डॉ. ए हसन और तृतीय स्थान पलिया के डॉ. राम किशोर वर्मा को मिला। इन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। साथ ही अंतिम दिन सभी 24 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस दौरान अपर निदेशक लखनऊ मंडल लखनऊ डॉ. जीएस बाजपेई ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा 2025 में भारत को टीवी मुक्त बनाने का उद्देश्य रखा गया है, वहीं मुख्यमंत्री द्वारा इसे 2024 कर दिया गया है। ऐसे में सभी की जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस प्रशिक्षण का अहम रोल रहेगा। उत्तर प्रदेश में शायद या इस तरह का पहला प्रशिक्षण है सभी सीएचसी पर बनी ट्यूबरक्लोसिस यूनिट के मेडिकल ऑफिसर को टीबी के बारे में विस्तार से प्रशिक्षित किया गया है। जिसमें सीएमओ डॉ. शैलेंद्र भटनागर और जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि जिले में आने के बाद सीएमओ डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने तमाम नए प्रयोग स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए किए हैं। ऐसे में उनका टीबी को लेकर यह प्रयोग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के टीबी मुक्त भारत के उद्देश्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। ऐसे प्रशिक्षण अब उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी चलाए जाएंगे, जिससे गांव-गांव तक टीबी की संपूर्ण जानकारी के साथ-साथ उसके उपचार की व्यापक व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा सके।


इसी क्रम में यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि ग्राम स्तर पर हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी मरीजों की सूची तैयार की जाए, जिनमें टीबी के लक्षण पाए जाते हैं। उनका जल्द से जल्द परीक्षण एवं उपचार सुनिश्चित कराया जा सके।

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