कन्या पूजन व हवन के बिना अधूरी मानी जाती है दुर्गा पूजा, जानें नवरात्रि में इसका महत्व
नवरात्र पर्व कन्या पूजन विशेष-
नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। ऐसा माना जाता है कि दो से दस वर्ष तक की कन्या देवी के शक्ति स्वरूप की प्रतीक होती है पं कमल किशोर मिश्र बताते है कि अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्या रूपी देवियों का पूजन कर उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं।
कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 अति उत्तम मानी गयी है
कन्या पूजन से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है
*हवन महत्व-*
कहा जाता है कि जो लोग दुर्गा पूजा में हवन नहीं करते उन्हे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है नारद पुराण के अनुसार हवन दुर्गा पूजन का एक महत्वपूर्ण अंग है नवरात्रि में जो साधक हर दिन हवन नहीं कर सकते हैं उन्हें नवरात्रि के अंतिम दिवस यानी नवमी के दिन हवन जरूर करना चाहिए इससे उन्हे नौ दिन की साधना का पूर्ण फल प्राप्त होता है और दुर्गा मां का आशीर्वाद मिलता है ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के आखिरी दिन हवन करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में धन व सम्मान का आगमन होता हैग्रह जनित पीडा़ व रोगों से मुक्ति मिलती है ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है
पं कमल किशोर मिश्र
लखीमपुर खीरी
9161007456
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