पुलिस को मिली केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की तीन दिन पुलिस कस्टडी रिमांड
देव श्रीवास्तव / शोएब खान केडीएस न्यूज़ नेटवर्क
लखीमपुर-खीरी, 11 अक्टूबर। तिकुनिया संघर्ष मामले में सोमवार दोपहर सीजेएम कोर्ट में दोनों पक्षों के वकीलों की बहस के बाद न्यायाधीश चिंताराम ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके करीब 40 मिनट बाद न्यायाधीश द्वारा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड में भेजने का आदेश जारी कर दिया गया।
जेष्ठ अभियोजन अधिकारी एडवोकेट एसपी यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि न्यायाधीश के सामने मामले में हुई सुनवाई के दौरान जो दलीलें दी गई थीं उसके बाद न्यायाधीश चिंताराम ने फैसले को सुरक्षित कर लिया था करीब 40 मिनट बाद उन्होंने प्रॉसीक्यूशन वकील की दलीलों के अनुसार आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को 3 दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड में भेजने का फैसला सुनाया है। यह कस्टडी 12 अक्टूबर सुबह 10 से 15 अक्टूबर सुबह 10 बजे तक रहेगी।
हम आपको यह भी बता दें कि तिकुनिया संघर्ष मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद रिमांड को लेकर सीजीएम कोर्ट में डिफेंस लॉयर ने सोमवार को अपना पक्ष रखा। न्यायाधीश के सामने दोनों ही वकीलों में बहस हुई थी जिस पर न्यायाधीश चिंताराम ने डिफेंस लॉयर रमेश मिश्रा की और प्रॉसीक्यूशन वकील की बात सुनी और फैसला सुरक्षित कर लिया था।
डिफेंस लॉयर रमेश मिश्रा ने मामले पर बताया कि गिरफ्तारी के बाद आशीष मिश्रा के पक्ष को सुनने के लिए न्यायालय ने 11 अक्टूबर दोपहर एक बजे का जो समय दिया था उस दौरान सीजीएम कोर्ट में न्यायाधीश चिंताराम के समक्ष डिफेंस ने अपनी बात रखी। साथ ही डिफेंस ने यह भी बताया कि पुलिस विवेचक द्वारा जो साक्ष्य और दस्तावेज रखे गए हैं उनसे यह कहीं नहीं साबित हो रहा है कि आशीष मिश्रा को रिमांड पर भेजा जाए, क्योंकि उन्हें नोटिस चस्पा कर एसआईटी और जांच टीम के सामने बुलाया गया था जहां पर वह पेश हुए थे उनसे पूछताछ की गई थी जो सवालों से पूछा जाए थे उन सभी सवालों का उन्होंने जवाब दिया है ऐसे में अब रिमांड का क्या सवाल है। विवेचक द्वारा कोई भी सफिशिएंट रीजन नहीं दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशा अनुसार उन्हें जितने भी सवाल करने थे सब के सब वह कर चुके हैं। अब रिमांड का कोई औचित्य नहीं है यह केवल आशीष मिश्रा को मेंटली और फिजिकली टॉर्चर करना चाहते हैं। इसलिए रिमांड का कोई भी औचित्य नहीं बनता।
Comments
Post a Comment