कोरोना का इलाज बजरंगबली के पास, जाने क्या है हकीकत

कोरोना का इलाज बजरंगबली के पास, जाने क्या है हकीकत


शिरीष श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। हाथों में गदा, चेहरे पर तेज और अतुलित बल! इतना काफी है बजरंग बली की पहचान को, लक्ष्मण जी को जीवनदान देने के लिये औषधियों से परिपूर्ण पहाड़ उठा लाने वाले बजरंग बली ने उपचार प्रणाली को अपनाने का संकेत दिया था। मगर आज आस्था की आड़ में अंधविश्वास फैलाने वाले रामभक्त के नाम पर अजीब खेल खेलते नजर आ रहे हैं। जरूरत है जागरुक बनकर उससे उबरने की। यह अंधविश्वास कोरोना वायरस के इलाज को लेकर फैलाया जा रहा है।

यह है अफवाह

रामायण के बाल काण्ड या अयोध्या काण्ड में बजरंग बली के  बाल निकल रहे हैं। परम भक्तों के यहां रखे रामायण ग्रंथ में ही यह दुर्लभ है। यह जिसे मिलेंगे उस पर बजरंग बली की कृपा होगी। इन बालों को पानी में मिलाकर परिवार के हर सदस्य को पिलाना है और छिड़काव करना है। ऐसा करने से कोरोना का वायरस मर जायेगा।

ऐसे बढ़ा अंधविश्वास पर विश्वास

अफवाह फैली और लोग लगे रामायण में बाल खोजने। किसी को एक, किसी को दो बाल मिले। बड़ी बात ये थी कि यह बाल एक से डेढ़ अंगुल के थे। कहीं काले तो कहीं भूरे बाल मिल रहे थे। मानने वालों को लगा कि बजरंग बली की विशेष कृपा उन्हें मिल रही है। फोन दर फोन यह सिलसिला बढ़ता रहा।

किसी ने ठंडे पानी तो किसी ने उबले पानी में बाल मिलाकर पिया


अंधविश्वास का आलम बाल मिलने से शुरू हुआ और पानी में मिलाकर पीने की चरम सीमा तक गया। किसी ने बालों को ठंडे पानी में मिलाकर तो किसी ने बाल को पानी में डालकर गुनागुना कर पिया। इस पानी का पूरी श्रद्धा के साथ घर में छिड़काव कर पिया गया।

यह है सच्चाई

रामायण में मिले बाल बजरंग बली के नहीं बल्कि रामायण पढ़ने वाले लोगों के ही हैं। विज्ञान के मुताबिक प्रतिदिन 50 से 100 बाल प्रत्येक व्यक्ति के गिरते हैं। नहाते समय भी बाल टूटते हैं। कई बार गीला होने के चलते यह बाल सिर पर ही चिपके रहते हैं, क्यूंकि पवित्र रामायण का पाठ नहाने के बाद पूजा करते समय होता है। पाठ करने वाले सिर झुकाकर ही पाठ करते हैं। ऐसे में या तो सूखने पर या टूटने पर ये बाल पुस्तक के खुले पृष्ठ पर गिर जाते हैं। क्योंकि ये आम घटना होती है इसलिये लोग इस पर ध्यान नहीं देते।

ऐसे हुआ खुलासा

बाल मिलने की अफवाह बाल कांड या अयोध्या कांड तक सीमित थी। कुछ जागरुक लोगों ने जब रामायण के हर पेज को पलटा तो एक दो नहीं बल्कि दर्जनों बाल मिले। इसमें सिर के ही नहीं बल्कि भौं और पलक के बाल भी शामिल थे। कई रामायण में महिलाओं के बाल भी मिले। यह साबित करने को काफी है चाहे महिला हो या पुरुष बाल उसी के मिले थे जो उसका पाठ करता था।

यह भी अफवाह को दबाने में है सहायक

अक्सर लोगों को खाने में बाल मिलने की शिकायत होती है। उन्हें पता होता है कि यह बाल या तो बनाने वाले के होते हैं या खाने वाले के। अमूमन सबके साथ यह होता है। इसका ये कतई मतलब नहीं होता कि ये अन्न देवता के बाल हैं।

उपचार की शिक्षा देते हैं बजरंग बली

लक्ष्मण की मूर्छित होने पर संजीवनी लाने का जिम्मा स्वयं हनुमान जी ने उठाया था। बूटी न खोज पाने पर वह पूरा का पूरा पर्वत ही उठा लाये थे। तेजोमय होने के बावजूद उन्होंने चिकित्सा पद्धित को प्रचारित किया। आज भी वनौषधि के सहारे तमाम रोगों का इलाज किया जा सकता है।

न पियें बाल वरना हो सकते हैं बीमार 

विशेषज्ञ बताते हैं कि टूटे बाल मृतप्राय होते हैं। चूंकि इन्हें मिटने में एक लम्बा समय लगता है इसलिये ये पता लगाना आसान नहीं होता कि बाल किसका और कितना पुराना है। ऐसे में इसका पान करना आपको बीमार बना सकता है।

जाने मनोचिकित्सक ने क्या कहा


रामायण ग्रंथ में बाल मिलने की अफवाह और उसे पीकर कोरोना जैसी बीमारी के इलाज पर जब जिला चिकित्सालय में तैनात मनोचिकित्सक डॉक्टर अखिलेश शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया यह पूरी तरह से अफवाह है। मृत बाल पीने से कोई भी व्यक्ति ठीक नहीं हो सकता। ऐसा करना गलत है यह बीमारी को न्योता देने वाला काम है। अच्छा तो यही है कि चिकित्सा पद्धति के अनुसार ही अपना इलाज कराएं। कोरोना से बचने के लिए जो सावधानियां अपनानी चाहिए उन्हें अपनाएं। अधिक लोगों के संपर्क में आने से बचें। घर में रहे सुरक्षित रहें।

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